कदम मिलाकर चलना होगा-We will miss you Atalji



कदम मिलाकर चलना होगा
बाधाएँ आती हैं आएँ
घिरें प्रलय की घोर घटाएँ
पावों के नीचे अंगारे
सिर पर बरसें यदि ज्वालाएँ
निज हाथों में हँसते-हँसते
आग लगाकर जलना होगा
कदम मिलाकर चलना होगा

हास्य-रुदन में, तूफानों में
अगर असंख्यक बलिदानों में
उद्यानों में, वीरानों में
अपमानों में, सम्मानों में
उन्नत मस्तक, उभरा सीना
पीड़ाओं में पलना होगा
कदम मिलाकर चलना होगा

उजियारे में, अंधकार में
कल कहार में, बीच धार में
घोर घृणा में, पूत प्यार में
क्षणिक जीत में, दीर्घ हार में
जीवन के शत-शत आकर्षक
अरमानों को ढलना होगा
कदम मिलाकर चलना होगा

सम्मुख फैला अगर ध्येय पथ
प्रगति चिरंतन कैसा इति अब
सुस्मित हर्षित कैसा श्रम श्लथ
असफल, सफल समान मनोरथ
सब कुछ देकर कुछ न माँगते
पावस बनकर ढ़लना होगा।
कदम मिलाकर चलना होगा।

कुछ काँटों से सज्जित जीवन,
प्रखर प्यार से वंचित यौवन,
नीरवता से मुखरित मधुबन,
परहित अर्पित अपना तन-मन,
जीवन को शत-शत आहुति में,
जलना होगा, गलना होगा।
कदम मिलाकर चलना होगा।
८ दिसंबर २००१
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We will miss you Atalji

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